लॉकडाउन में सीखा, अब बना रहे लाखों! मराठवाड़ा में कश्मीर जैसा केसर उगा रहे लक्ष्मीकांत उपसिंगेकर

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kesar ki farming

लक्ष्मीकांत उपसिंगेकर ने लॉकडाउन के दौरान सीखी केसर की खेती, अब मराठवाड़ा में कश्मीर जैसा उत्पादन

कश्मीर की तर्ज पर मराठवाड़ा में केसर की खेती

कश्मीर, जहां केसर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और वातावरण मिलता है, वहां से दूर मराठवाड़ा में एक किसान ने इसे सफलतापूर्वक उगाया है। छत्रपति संभाजी नगर के लक्ष्मीकांत उपसिंगेकर ने लॉकडाउन के दौरान केसर की खेती का प्रयोग किया, और अब वह इसे मराठवाड़ा के वातावरण में उगाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं।

लक्ष्मीकांत उपसिंगेकर का केसर खेती का सपना

लक्ष्मीकांत उपसिंगेकर का कृषि विभाग में 36 साल का अनुभव रहा है, और सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें एक नई दिशा में काम करने का मौका मिला। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने यूट्यूब पर केसर की खेती के बारे में जानकारियां देखीं और इसको अपनी खेती का हिस्सा बनाने का फैसला किया। उनका यह सपना अब हकीकत में बदल चुका है, और वे छत्रपति संभाजी नगर में कश्मीर जैसा केसर उगा रहे हैं।

कैसे शुरू हुई केसर की खेती?

केसर की खेती के लिए लक्ष्मीकांत उपसिंगेकर ने सबसे पहले एक उपयुक्त वातावरण तैयार किया। मराठवाड़ा का मौसम कश्मीर जैसा नहीं होने के बावजूद, उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से एक ऐसा सेटअप तैयार किया, जिसमें केसर की खेती संभव हो सके। इसके लिए उन्होंने अपने एक मित्र की मदद से 10×10 के कमरे में छह लाख रुपये खर्च किए और एक ऐसा वातावरण तैयार किया जिसमें केसर का पौधा अच्छी तरह से विकसित हो सके।

प्रशिक्षण से शुरू किया सफर

केसर की खेती के लिए लक्ष्मीकांत ने पुणे में जाकर अक्षय मोडक से दो दिन का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने कश्मीर से केसर के कंद मंगवाए और घर पर ही खेती शुरू की। सितंबर में केसर के कंद लगाए और अक्टूबर में उसकी उपज मिली। पहले ही हार्वेस्टिंग में अच्छी गुणवत्ता के फूल मिले, जिससे उन्हें उम्मीद जगी कि वह जल्द ही अच्छे मुनाफे की ओर बढ़ रहे हैं।

निवेश और समय की आवश्यकता

लक्ष्मीकांत उपसिंगेकर ने इस खेती के लिए कहा, “केसर की खेती में निवेश तो काफी होता है, लेकिन अगर धैर्य से काम किया जाए और सही तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो तीन साल में निवेश की लागत निकल आती है और फिर अच्छी आमदनी शुरू हो जाती है।” उन्होंने इस खेती में तीन साल का समय बताने के बाद सुझाव दिया कि जो किसान धैर्य रख सकते हैं, वे इस खेती को आजमाएं।

केसर खेती के लाभ और संभावनाएं

लक्ष्मीकांत उपसिंगेकर ने साबित कर दिया है कि मराठवाड़ा में भी कश्मीर जैसी केसर की खेती की जा सकती है। केसर की खेती से किसान न केवल अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं, बल्कि एक नई दिशा में अपनी खेती को ले जा सकते हैं। अगर सही तकनीकी तरीके से खेती की जाए, तो यह एक बहुत ही लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकता है।

केसर की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:

  1. वातावरण का महत्त्व: केसर की खेती के लिए कश्मीर जैसी ठंडी और शुष्क जलवायु जरूरी होती है, लेकिन लक्ष्मीकांत ने इसे मराठवाड़ा में एक नए तरीके से अपनाया।
  2. निवेश और समय: इस खेती में शुरूआत में काफी निवेश और समय की आवश्यकता होती है, लेकिन बाद में अच्छा मुनाफा होता है।
  3. कृषि अधिकारियों की मदद: लक्ष्मीकांत ने कृषि अधिकारियों के अनुभव और यूट्यूब से सीखी गई जानकारी का सही उपयोग किया।
  4. मुनाफे की संभावनाएं: सही तकनीक से खेती करने पर तीन साल के अंदर मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।

निष्कर्ष

लक्ष्मीकांत उपसिंगेकर की कहानी यह दर्शाती है कि किसी भी क्षेत्र में कृषि के नए प्रयोगों की सफलता सिर्फ मेहनत और धैर्य पर निर्भर करती है। मराठवाड़ा जैसे क्षेत्र में कश्मीर की तरह केसर की खेती करना अब संभव हो गया है, और किसान इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। इस उदाहरण से प्रेरणा लेकर, भारतीय किसान अन्य नई खेती के तरीकों को अपनाकर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं और नई ऊचाइयों तक पहुंच सकते हैं।

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